महिला पत्रकार के सवालों पर भड़के राकेश टिकैत, गलत तरीके से छूने का लगाया आरोप

देश , NewsAbhiAbhiUpdated 02-12-2021 IST
महिला पत्रकार के सवालों पर भड़के राकेश टिकैत, गलत तरीके से छूने का लगाया आरोप

 महिला पत्रकार के सवालों पर भड़के राकेश टिकैत, गलत तरीके से छूने का लगाया आरोप

एक महिला पत्रकार और राकेश टिकैत के बीच गरमागरम बहस तब शुरू हुई जब पत्रकार ने  उनसे किसानों के चल रहे विरोध पर सवाल पूछा। राकेश टिकैत ने जवाब तो नहीं दिया बल्कि सभी के सामने महिला पत्रकार पर उन्हें गलत तरीके से छूने का आरोप लगा दिया। सरेआम एक महिला पत्रकार ऐसे आरोप अपने आप में ही बड़े सवाल है। 

भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, जो किसानों के विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, ने बुधवार को रिपब्लिक भारत की एक महिला पत्रकार पर उन्हें "अनुचित तरीके से" छूने का आरोप लगाया। राकेश टिकैत से सभी किसान आंदोलन को लेकर सवाल कर रहे थे तभी महिला पत्रकार ने भी राकेश टकैत से सवाल किए जिसका जवाब टकैत ने नहीं दिया बल्कि आरोप लगा दिए। इस बात पर काफी बहस भी हुई।  घटना का एक वीडियो, जो टिकैत दिल्ली-यूपी सीमा के पास यूपी गेट पर पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे था, टिकैत सभी पत्रकारों का नॉर्मल जवाब दिया रिपब्लिक भारत की एक महिला पत्रकार पर भड़क गये। 

 

लोकमत की एक रिपोर्ट के अनुसार, टिकैत मीडिया से बात कर रहे थे, जब उन्होंने कहा कि विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लिया जाना चाहिए और केंद्र को एमएसपी गारंटी कानून बनाना चाहिए, जिसके बाद इस पर विचार किया जाएगा। 

 

हालांकि, रिपब्लिक भारत के पत्रकार द्वारा चल रहे किसानों के विरोध के बारे में एक सवाल पूछने के बाद टिकैत ने आपा खो दिया। शुरू में टिकैत ने जवाब देने से इनकार कर दिया और फिर उन पर यह दावा करते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया कि गणतंत्र भारत किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। जैसे ही पत्रकार ने सवाल पूछना जारी रखा, बीकेयू नेता ने उन पर ऊंची आवाज में गलत तरीके से छूने का आरोप लगाया। इस बीच रिपब्लिक भारत के पत्रकार ने भी नारेबाजी की और आरोप लगाया कि किसान नेता महिलाओं को भी परेशान कर रहे हैं।

 

गौरतलब है कि एक साल पहले धरना शुरू होने के बाद से ही किसान नेता न्यूज चैनलों पर आंदोलन की सही तस्वीर पेश नहीं करने का आरोप लगाते रहे हैं. जिसके बाद किसानों ने चल रहे आंदोलन के बारे में कृषि समुदाय को अवगत कराने के लिए दिसंबर 2017 में अपना "ट्रॉली टाइम्स" लॉन्च किया।

 

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