सप्लीमेंटरी बजट दरअसल, आम बजट का पूरक होता है, जिसका मकसद सरकार को बदलती परिस्थितियों में जरूरी खर्च पूरा करने की अनुमति देना होता है। इसे राज्य विधानसभा की मंजूरी लेना जरूरी होता है।
उत्तर प्रदेश सरकार सोमवार को विधानसभा में सप्लीमेंटरी बजट या अनुपूरक बजट पेश कर रही है। कभी आपने सोचा है कि आम बजट के अलावा यह कौन सा बजट है? जी हां, इसे समझना भी आपके लिए जरूरी है, ताकि कोई कन्फ्यूजन न रह जाए। सप्लीमेंटरी बजट वह बजट है, जिसे कोई भी राज्य सरकार आम बजट के बाद वित्तीय वर्ष के दौरान पेश करती है। यह तब पेश किया जाता है, जब सरकार को किसी योजना, विभाग या आपात स्थिति के लिए अतिरिक्त धन की जरूरत पड़ती है और आम बजट में उसके लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं होता, तब सप्लीमेंटरी बजट लाया जाता है।
यहां यह जान लें कि इसे राज्य विधानसभा की मंजूरी लेना जरूरी होता है। इसे ऐसे समझें कि भारत में, सप्लीमेंट्री बजट एक ऐसा प्रावधान है जो सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान अचानक होने वाले खर्चों को पूरा करने या बजट को संशोधन या रिवाइज करने की अनुमति देता है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सालाना बजट पेश करते समय अनुमानित न की गई किसी भी अतिरिक्त वित्तीय जरूरत को पूरा करने के लिए किया जाता है।
आम बजट से यह कैसे अलग है?
एक आम बजट में पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान का आर्थिक खाका होता है। इसमें सरकार की आय, खर्च, नई योजनाएं, टैक्स पॉलिसी और प्राथमिकताएं शामिल रहती हैं। जबकि, सप्लीमेंटरी बजट सिर्फ अतिरिक्त खर्च से जुड़ा होता है। इसमें न तो पूरे साल का लेखा-जोखा होता है और न ही नई टैक्स घोषणाएं की जाती हैं। संविधान का अनुच्छेद 115 सप्लीमेंट्री बजट के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
अनुच्छेद 115 सरकार को सप्लीमेंट्री डिमांड फॉर ग्रांट्स पेश करने की अनुमति देता है, अगर उसे सालाना बजट में शुरू में अलॉट किए गए फंड से ज्यादा फंड की जरूरत होती है। आम बजट में खर्च के लिए प्रावधान होते हैं।