जिले में या हुसैन या हुसैन की सदायें बुलंद हुई

राष्ट्रीय पहल , शहर और राज्य, NewsAbhiAbhiUpdated 29-07-2023 IST
 जिले में या हुसैन या हुसैन की सदायें बुलंद हुई

जंग में उनके साथ उनके 72 साथी भी शहीद हुए

 

इस्लाम मजहब साल की शुरुआत मोहर्रम के महीने से होती है। पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम शिया समुदाय के लोग मोहर्रम पर मातम मनाते हैं। इमाम हुसैन पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे थे। जो कर्बला की जंग में शहीद हो गए थे। उन्हीं की याद में मातमी जुलूस निकाला गया। इस्लाम की रक्षा के लिए उन्होंने खुद को कुर्बान कर दिया था और इस जंग में उनके साथ उनके 72 साथी भी शहीद हुए थे।
 
 
बिजनौर । 9वीं मोहर्रम का कदीमी जुलस-ए-अलम शुक्रवार को दिन में मोहल्ला काजीपाड़ा स्थित मरहूम अली अब्बास के आवास से आरम्भ होकर अपने परम्परागत रास्तों से होता हुआ रात्रि करीब 9 बजे मौहल्ला बुखारा स्थित इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त हुआ। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मुहर्रम की नौवीं तारीख पर क्षेत्र के शिया समुदाय के द्वारा अलम का विशाल जुलूस निकाला गया, जिसमें सोगवारों ने जंजीरी मातम किया। जुलूस अपराह्न दो बजे निकलना आरम्भ हुआ। निर्धारित मुख्य मार्गों से होते हुए जुलूस रात्रि 9 बजे इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस में सोगवारों ने जंजीरी मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया। इस दौरान वातावरण में या हुसैन या हुसैन की सदायें बुलंद होती रहीं। मौलाना ने तकरीर करते हुए कर्बला का वाकिया सुनाया, तो सभी जार-जार कर रो पड़े।  मरहूम अली अब्बास के आवास पर मजलिस बरपा की गई, जिसे मौलाना जीशान हैदर रिजवी ने खिताब किया। उन्होंने करबला में इमाम हुसैन की अजीम कुर्बानी का जिक्र करते हुए कहा कि इमाम हुसैन को कुर्बानी का उद्देश्य दुनिया से नफरत और अन्याय को खत्म करना और मौहब्बत व न्याय को स्थापित करना था। यजीद् इमाम हुसैन को अपनी हुकुमत और ताकत के बल पर खुद को खलीफा मनवाना चाहता था, मगर हुसैन झुके नहीं और अपने परिवार और साथियों को हक की राह में कुर्बान कर दिया। मजलिस के बाद तमाम मातमी अंजुमने जुल्फुकारे हैदरी, अंजुमन शनि हैदरी, अंजुमन अब्बासिया व अंजुमन सरकारे हुसैनी के सोगवार नोहाख्वानी व सीनाजनी करते हुए शाम को सदर बाजार पहुंचे, जहां पर सोगवारों ने जंजीरों का मातम बरपा किया। उसके बाद तमाम अंजुमने मौ. अफरोज कमर अब्बास, राहुल, रईस हैदर नवाब रजा, जाफर हसनैन, सलमान ताहिर के नेतृत्व में करीब साढ़ नौ बजे मौहल्ला बुखारा स्थित इमामबाड़ा पहुंची, जहाँ जुलूस का समापन हुआ। एसपी नीरज कुमार जादौन ने सुरक्षा के लिहाज से भारी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया था।

 

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